UP POLICE की थ्‍योरी हुई फेल, थानाध्यक्ष पर फायरिंग मामले में विकास दुबे का भतीजा दोषमुक्त

Share This

 

कानपुर के चर्चित बिकरू कांड के बाद पुलिस की कार्रवाई में जो जल्दबाजी और खानापूर्ति की गई उसके नतीजे आने शुरू हो गए हैं। गुरुवार को बिकरू से जुड़े एक और मामले में फैसला आ गया। इसमें कुख्यात गैंगस्‍टर विकास दुबे के भतीजे को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया। उस पर तत्कालीन सजेती थानाध्यक्ष पर अवैध असलहे से फायरिंग करके जानलेवा हमले का आरोप था। अभियोजन दोष साबित करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका।

इसके बाद ईनाम भी घोषित

2 जुलाई 2020 को बिकरू में कुख्यात विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर फायरिंग की गई थी। इसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे। इसके जवाब में पुलिस की जो कार्रवाई हुई उसमें कई बड़ी चूक हुई हैं। ऐसा ही एक मामला विपुल दुबे का है। एडीजे पंचम दुर्गेश की कोर्ट ने विपुल को जानलेवा हमले और शस्त्र अधिनियम के मामले में दोषमुक्त कर दिया है। दरअसल, बिकरू कांड के बाद पुलिस ने जांच में विपुल दुबे को भी आरोपी बनाया था। इसके बाद ईनाम भी घोषित हो गया। पुलिस ने आरोप लगाया कि 7 जनवरी 2021 को विपुल चोरी की बाइक से हमीरपुर की ओर जा रहा था तभी सजेती पुलिस को भनक लगी। तत्कालीन थानाध्यक्ष रावेंद्र कुमार मिश्रा ने टीम के साथ पहुंच कर विपुल को पकड़ने की कोशिश लेकिन उसने अवैध तमंचे से कई राउंड फायरिंग करके जानलेवा हमला किया। इसके बाद पुलिस ने उसे पकड़ कर अवैध तमंचा बरामद कर लिया लेकिन पुलिस की ये कहानी कोर्ट में फेल हो गई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता पवनेश कुमार शुक्ला ने बताया कि कोर्ट ने जानलेवा हमले और शस्त्र अधिनियम दोनों मामलों में विपुल को दोषमुक्त किया है। उम्मीद है इस फैसले से विपुल को आगे भी राहत मिलेगी। सहायक शासकीय अधिवक्ता संतोष कटियार ने बताया कि वह कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।

लगातार कई राउंड फायरिंग करने में सक्षम

दरअसल पुलिस ने जिस तमंचे से कई राउंड फायरिंग दिखाई उसे विधि विज्ञान प्रयोगशाल भेजकर जांच भी नहीं कराई। जांच कराने से प्रमाणित हो जाता कि असलहे से फायरिंग हुई है और ये असलहा लगातार कई राउंड फायरिंग करने में सक्षम है। बचाव पक्ष ने ये दलील रखी पुलिस की तरफ से बरामद दिखाया गया असलहा विपुल के पास था ही नहीं और ये फायरिंग करने की स्थिति में नहीं दिख रहा है। वहीं पुलिस ने फर्द में कटिंग करके ओरवराइटिंग करके संदेहनजक स्थिति पैदा कर दी। अभियोजन इस बाबत कोई मजबूत जवाब नहीं दे सका। इस घटना से जुड़े आरोपी गुड्डन त्रिवेदी, सुशील तिवारी को गैंगस्टर एक्ट में दोषमुक्त किया गया है। इन दोनों के साथ ही खुशी दुबे की जमानत हो चुकी है वह जेल से बाहर हैं।

आईटीबीपी में नौकरी लग गई थी

विपुल दुबे के अधिवक्ता पवनेश कुमार शुक्ला ने बताया कि बिकरू कांड के बाद पुलिस ने कई निर्दोष लोगों को भी मुल्जिम बना दिया। इसी में से एक हैं विपुल दुबे। शुक्ला का कहना है कि विपुल पढ़ने-लिखने वाला लड़का था। उसकी आईटीबीपी में नौकरी लग गई थी। अगस्त 2020 में उसकी ज्वाइनिंग थी। इसके पहले जुलाई में बिकरु कांड हो गया। इसमें पुलिस ने उसके पिता को अतुल दुबे को एनकाउंटर में ढेर कर दिया बाद में विपुल को भी मुल्जिम बना दिया। इससे वह नौकरी में नहीं जा सका। वह इस समय जेल में है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *