लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मानव तस्करी रोकने और गुमशुदा बच्चों की खोज को प्राथमिकता देने के लिए हर जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग थाना बनाया गया है। इन थानों को सक्रिय करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही, सभी गुमशुदा बच्चों और महिलाओं से जुड़े मामलों की विवेचना अब इन विशेष थानों को ही सौंपी जाएगी।
मुख्य सचिव ने दिए निर्देश
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के थानों को स्थानीय थाने के रूप में अधिसूचित किया जाए। साथ ही, इन थानों की प्राथमिक जिम्मेदारी सिर्फ मानव तस्करी और गुमशुदा मामलों की विवेचना ही होगी। इनमें तैनात पुलिस बल को अन्य ड्यूटी में नहीं लगाया जाएगा।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मिशन वात्सल्य कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2016 से जिलों में एएचटीयू गठित हैं, लेकिन ये पूरी तरह सक्रिय नहीं हो पाए थे। अब शासन स्तर से इन्हें पूरी तरह सक्रिय करने और संसाधन देने के निर्देश जारी किए गए हैं।
सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे इन थानों की निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी गुमशुदा बच्चों, महिला व बाल तस्करी, और अवैध अंग व्यापार जैसे मामलों की विवेचना इन्हीं थानों द्वारा की जाए। थाने की समीक्षा अब जनपद स्तर पर क्राइम मीटिंग में होगी।
इन विभागों से जोड़ा जाएगा
इन थानों की कार्यप्रणाली को बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई, स्वास्थ्य विभाग और महिला कल्याण विभाग के साथ जोड़ा जाएगा। सभी विभाग मिलकर इन मामलों में पीड़ितों की पहचान, पुनर्वास, स्वास्थ्य सेवाएं और सामाजिक सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे।