HIGH COURT के आदेश के NOIDA JAIL से रिहा हुआ निठारी कांड का अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर

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18 साल बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद पूरी दुनिया में सुर्खियां बटनों ने वाले निठारी कांड का अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर आज गौतम बुध नगर की लुक्सर जेल से रहा हो गया, नवरात्रि के मौके पर जेल से रिहा होने के बाद पंढेर के घर में दशहरे में ही दिवाली मनाई जा रही है, इससे पहले निठारी कांड में सीबीआई की विशेष अदालत ने मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को मौत की सजा सुनाई थी।

क्या है निठारी कांड?

नोएडा के सेक्टर 31 की कोठी नंबर D-5 में रहने वाले मोनिंदर सिंह पंढेर पर 2005 से लेकर 2006 तक बच्चों की हत्या का आरोप था. इस मामले का खुलासा पायल नाम की लड़की की हत्या की जांच से हुआ था. पहले 31 बच्चों की हत्या के आरोप पंढेर और उसके नौकर कोली पर लगे थे लेकिन जांच में 19 लोगों की हत्या ,यौन शोषण और सबूत मिटाने की बात सामने आई थी. इनमें 10 लड़कियां शामिल थीं. लेकिन इनमे से कुछ के डीएनए सैंपल मैच नहीं हुए और कुछ मामलों में आरोपी बरी हो गए. दरअसल, मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से पुलिस को 19 नरकंकाल मिले थे. ये कंकाल बच्चों और महिलाओं के थे. इस घटना के बाद मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरिंदर कोली को गिरफ्तार कर लिया था. सीबीआई को इंसानी हड्डियों के कुछ हिस्से और 40 इस तरह के पैकेट मिले थे जिनमें मानव अंगों को भरकर नाले में फेंका गया था. मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में नोएडा पुलिस के 3 सीनियर अफसरों समेत कई पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए थे.

निठारी केस में कब क्या हुआ?

निठारी कांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को आज यानी कि 16 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी करने का आदेश दे दिया है. दोनों को मिली फांसी की सजा भी अदालत ने रद्द कर दी है.
सुरेंद्र कोली और पंढेर को पिंकी की हत्या और रेप की कोशिश में 24 जुलाई 2017 को सीबीआई कोर्ट ने दोषी ठहराया था. दोनों के खिलाफ हत्या के 16 में से आठवें मामले में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था.

सीबीआई कोर्ट ने 22 जुलाई 2017 को मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को दोषी ठहराते हुए सजा के लिए 24 जुलाई की तारीख मुकर्रर की थी.

रिम्पा हलदर हत्या मामले में सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा को जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्र क़ैद में तब्दील कर दिया था.

आरोपी सुरेंद्र कोली की फांसी पर पुनर्विचार याचिका अक्टूबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट से खारिज कर दी गई थी. रिम्पा की हत्या मामले में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी. हालांकि अदालत ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सज़ा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगा दी थी.

सीबीआई की एक विशेष अदालत ने मई 2010 में सुरेंद्र कोली को सात साल की आरती की हत्या का दोषी करार दिया था. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट पंढेर को सितंबर में ही बरी कर चुका था, जबकि कोली की सजा को बरकरार रखा गया था.

सीबीआई ने मई 2007 में अपनी चार्जशीट में पढ़ेर को 15 साल की रिम्पा हलदर नाम की बच्ची के किडनैप,रेप और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था. लेकिन कोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई ने पंढेर को इस मामले में सह-अभियुक्त बनाया. पंढेर और कोली को दोषी क़रार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई गई थी.

निठारी हत्याकांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को जनवरी 2007 में पुलिस नार्को टेस्ट के लिए गांधीनगर ले कर पहुंची थी. मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली से पूछताछ के बाद सीबीआई कुछ ही दिनों में जांच करने के लिए नोएडा के निठारी गांव पहुंच गई. यहां से और भी हड्डियां बरामद की गईं थी. इसी महीने में दोनों को पेशी के लिए गाजियाबाद की एक कोर्ट में ले जाया गया था, जहां इनके साथ परिसर में ही मारपीट की गई थी. फरवरी से 20 अप्रैल के बीच दोनों आरोपियों को 14 दिन के लिए सीबीआई की कस्टडी में भेजा गया था. वहीं गुमशुदा लड़की के कंकाल की पहचान उसके कपड़ों से की गई थी.

12 नवंबर 2006 को एक लड़की कोठी में सफाई के लिए अपने घर से गई तो लेकिन वापस घर नहीं लौटी. परिवार के खूब तलाशने के बाद भी जब उसका कुछ पता नहीं चला तो मामले की शिकायत वह पुलिस थाने में करने पहुंचे लेकिन पुलिस ने उनकी रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की. वहीं मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे बने नाले में नई कंकाल पाए गए थे. इस मामले में पुलिस ने 19 केस दर्ज किए थे.

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