उत्तर प्रदेश पुलिस अब केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि नागरिकों के साथ उसके व्यवहार में भी सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है। इसी सोच के तहत डीजीपी राजीव कृष्ण ने प्रदेश में नवचयनित 60244 सिपाहियों को विशेष ‘बिहेवियरल ट्रेनिंग’ देने की बात कही है। यह प्रशिक्षण सिर्फ कानून की किताबों तक सीमित नहीं होगा, बल्कि महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में पुलिस के व्यवहार को आदर्श मानकर, उसी स्तर की संवेदनशीलता और संयम को सिखाया जाएगा।
प्रशिक्षण का स्वरूप बदलेगा
राजीव कृष्ण ने यह भी स्पष्ट किया कि शुरुआती प्रशिक्षण (इंडक्शन ट्रेनिंग) केवल एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक पुलिसकर्मी के पूरे करियर की नींव होती है। अगर इस चरण में उन्हें सही दिशा, संवाद कौशल और सहानुभूति की समझ दे दी जाए, तो वे फील्ड में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। इसके लिए यूनिफॉर्म में प्रशिक्षण, ऑडियो-विजुअल कंटेंट और सजीव उदाहरणों का उपयोग करने की सिफारिश की गई है।
फील्ड और क्लासरूम में संतुलन ज़रूरी
डीजीपी का मानना है कि व्यवहार में बदलाव एक दिन की प्रक्रिया नहीं, बल्कि निरंतर सीखने और अभ्यास से आता है। ट्रेनिंग के दौरान मिली सैद्धांतिक जानकारी और फील्ड में आने वाले व्यावहारिक अनुभवों में संतुलन स्थापित करना बेहद ज़रूरी है। महाकुंभ जैसे आयोजनों में पुलिस ने श्रद्धालुओं से जिस सौम्य और सहयोगात्मक ढंग से व्यवहार किया, वह प्रशिक्षण, ब्रीफिंग और नियमित काउंसलिंग का ही परिणाम है।
डीजी प्रशिक्षण तिलोत्तमा वर्मा ने बताया कि अब प्रशिक्षण में डिजिटल माध्यमों को भी महत्व दिया जाएगा। ‘आई गॉट पोर्टल’ नामक सरकारी पोर्टल को प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। प्रशिक्षुओं को इस पोर्टल पर उपलब्ध दो कोर्स अनिवार्य रूप से पूरे करने होंगे, जिससे उनकी सीखने की प्रक्रिया और भी प्रभावशाली हो सके।
सॉफ्ट स्किल्स: एक नई दिशा
पुलिस प्रशिक्षण अब केवल कठोर अनुशासन तक सीमित नहीं रहेगा। एडीजी नवनीत सिकेरा ने बताया कि 32 पीटीआई को विशेष प्रशिक्षण देकर ‘हेल्थ कोच’ बनाया गया है, जो अब प्रशिक्षुओं को शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी सशक्त बनाएंगे। इसके अलावा भारत सरकार के ‘क्षमता निर्माण आयोग’ के सहयोग से पांच दिवसीय सॉफ्ट स्किल वर्कशॉप का आयोजन किया गया है, जिससे व्यवहार और संवाद कौशल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकेगा।