उत्तर प्रदेश पुलिस के चार जवान ड्यूटी के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए। भले ही किसी की जान वापस नहीं लाई जा सकती, लेकिन उनके परिजनों के जीवन को सहारा देने की दिशा में यूपी पुलिस ने मानवीय और संवेदनशील कदम उठाया है।
पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने बुधवार को लखनऊ में चारों शहीद पुलिसकर्मियों की पत्नियों को पुलिस सैलरी पैकेज के अंतर्गत सहायता राशि के चेक प्रदान किए। इस मौके पर डीजीपी ने कहा कि यह सहयोग उन परिवारों के वर्तमान और भविष्य को बेहतर बनाने का एक प्रयास है, जिन्होंने ड्यूटी पर रहते हुए अपने परिजन को खोया है।
इनके परिजनों को मिली मदद
चारों मामलों में पुलिसकर्मियों की मौतें न केवल दुखद हैं, बल्कि यह बताती हैं कि आम जन की सुरक्षा में लगे जवान हर समय कितने जोखिमों में कार्य करते हैं। जौनपुर में तैनात हेड कांस्टेबल दुर्गेश कुमार सिंह की हत्या गोतस्करों द्वारा ड्यूटी के दौरान कुचलकर कर दी गई थी।

वहीं, फतेहपुर में तैनात सिपाही वीरेंद्र कुमार सरोज की मौत उस वक्त हुई जब वे महाकुंभ मेला ड्यूटी से लौटते समय सड़क हादसे का शिकार हो गए।

बरेली में तैनात सिपाही जितेंद्र पाल की मोटरसाइकिल की टक्कर ट्रैक्टर-ट्राली से हो गई थी, जिससे उनकी जान चली गई।

वहीं सिद्धार्थनगर में तैनात फॉलोअर बृजेश कुमार की भी एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।

विभाग ने पेश की मिसाल
पुलिस विभाग द्वारा दी गई ये सहायता केवल एक वित्तीय मदद नहीं, बल्कि एक संदेश भी है कि उत्तर प्रदेश पुलिस अपने प्रत्येक जवान के साथ खड़ी है, चाहे वे ड्यूटी पर हों या नहीं। इस पहल से पुलिस बल के मनोबल को भी मजबूती मिलेगी और यह भरोसा कायम होगा कि सेवा के दौरान अगर कोई अनहोनी होती है तो विभाग उनके परिवारों को अकेला नहीं छोड़ेगा।
इस मानवीय संवेदना और कर्तव्यपरायणता की मिसाल के लिए डीजीपी और उत्तर प्रदेश पुलिस की सराहना की जानी चाहिए। यह कदम बताता है कि यूपी पुलिस न केवल कानून-व्यवस्था का पालन करती है, बल्कि अपने सिपाहियों और उनके परिजनों के हित में भी हरसंभव प्रयास करती है।