मेरठ रिजर्व पुलिस लाइन में एक अहम बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें मेरठ जोन के एडीजी और डीआईजी ने संयुक्त रूप से बीट व्यवस्था की समीक्षा की। इस दौरान नगर और ग्रामीण क्षेत्र के कुल 500 पुलिसकर्मियों को “बीट बुक” सौंपी गई। इनमें 200 प्रशिक्षणाधीन उपनिरीक्षक और 300 मुख्य आरक्षी/आरक्षी शामिल रहे।
बीट सिस्टम को मजबूत करने पर ज़ोर
बैठक में बताया गया कि बीट पुलिसिंग प्रणाली कानून-व्यवस्था की जड़ है। एक बीट पुलिसकर्मी का दायित्व होता है कि वह अपने इलाके के बारे में पूरी जानकारी रखे – जैसे कि इलाके में रहने वाले बदमाश, अवैध शराब के ठिकाने, ज़मीन विवाद, या कोई अन्य आपराधिक गतिविधियां। इन जानकारियों को वह अपनी बीट पुस्तिका (बीट बुक) में दर्ज करता है और थाने को रिपोर्ट करता है।
बीट पुलिस व्यवस्था का सबसे छोटा हिस्सा है। इसमें चार गांव या मोहल्ले आते हैं और इसका जिम्मा एक आरक्षी को सौंपा जाता है। कई बीट मिलकर एक चौकी या हल्का क्षेत्र बनाते हैं, जिसका प्रभार उपनिरीक्षक के पास होता है।
नगर और ग्रामीण इलाकों में जनसंख्या के हिसाब से बीट आरक्षियों की तैनाती की गई है – जैसे नगर में 1097 और ग्रामीण क्षेत्रों में 1700 की आबादी पर एक बीट कांस्टेबल तैनात किया गया है।
बीट बुक को सात हिस्सों में बांटा गया है। इसमें क्षेत्र का नक्शा, प्रमुख लोगों के नाम, पुराने विवाद, अपराधियों की जानकारी, एफआईआर, गुप्त सूचना और शिकायतों की जांच का रिकॉर्ड रखा जाएगा।
अफसरों ने किया निरीक्षण
गोष्ठी में जिले के तमाम आला अधिकारी, थानाध्यक्ष और प्रशिक्षु पुलिसकर्मी मौजूद रहे। इसके बाद अफसरों ने पुलिस लाइन के छात्रावास और परिवहन शाखा का निरीक्षण भी किया और कई जरूरी निर्देश दिए।