दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा का कार्यकाल समापन की ओर है और अब देश की राजधानी को नया पुलिस प्रमुख मिलने वाला है। ऐसे में गृह मंत्रालय के गलियारों में कई नाम गूंजने लगे हैं। क्या फिर से किसी बाहरी राज्य के अफसर को दिल्ली की कमान दी जाएगी या इस बार ‘अपनों’ को तवज्जो मिलेगी? यही सवाल पुलिस महकमे में गूंज रहा है।
पिछले दो मौकों पर यूटी (UT) कैडर को नजरअंदाज कर केंद्र ने बाहर के राज्यों से सीनियर आईपीएस बुलाकर दिल्ली की बागडोर सौंपी थी। इसी ट्रेंड के चलते तीसरी बार भी बाहरी अधिकारी की ताजपोशी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
अब तक की नियुक्तियों ने बदला संतुलन
दिल्ली हिंसा के बाद एस.एन. श्रीवास्तव को कमिश्नर बनाकर एक तरह से यूटी कैडर को राहत दी गई थी। मगर उसके बाद गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना और फिर तमिलनाडु कैडर के संजय अरोड़ा की तैनाती से केंद्रीय रणनीति साफ दिखी—दिल्ली को बाहरी अनुभव से चलाना।
अस्थाना को सेवानिवृत्ति से ऐन पहले दिल्ली बुलाकर सेवा विस्तार दिया गया था। हालांकि बाद में दूसरा टर्म नहीं मिला। ऐसी ही स्थिति श्रीवास्तव के साथ भी हुई—चर्चा बहुत थी, लेकिन सेवा विस्तार नहीं मिला।
संजय अरोड़ा दिल्ली में अब तक लगभग तीन साल का वक्त पूरा कर चुके हैं। कयास हैं कि उन्हें तीन से छह महीने की अतिरिक्त अवधि मिल सकती है। यदि यह फैसला हुआ, तो फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन टल जाएगा। वरना एक बार फिर से नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी आएगी।
यूटी कैडर के ये नाम चर्चा में हैं
अगर गृह मंत्रालय इस बार दिल्ली पुलिस से ही अधिकारी को कमान सौंपने का मन बनाता है, तो जिन नामों की चर्चा सबसे अधिक हो रही है, वे हैं:
- एस.बी.के. सिंह (1988 बैच) – फिलहाल होमगार्ड्स के डीजी, मगर कार्यकाल सीमित है।
- संदीप गोयल (1989 बैच) – निलंबन के चलते दौड़ में पीछे।
- नुजहत हसन (1991 बैच) – कार्यकाल बस एक माह शेष।
- सतीश गोलचा (1992 बैच) – तिहाड़ जेल के डीजी, अनुशासनप्रिय और अनुभवी।
- वीरेन्द्र चहल (1992 बैच) – एक वर्ष की सेवा शेष, शांत छवि वाले अधिकारी।
- प्रवीर रंजन (1993 बैच) – वर्तमान में CISF में तैनात, प्रशासनिक समझ बेहतर।
फैसले की घड़ी नजदीक, निगाहें दिल्ली पर
दिल्ली पुलिस जैसी संवेदनशील और रणनीतिक जिम्मेदारी के लिए अगला नाम क्या होगा, इसका फैसला केंद्र को जल्द लेना है। ऐसे में पुलिस महकमे के भीतर और बाहर सभी की नजरें गृह मंत्रालय की अगली चिठ्ठी पर टिकी हैं।