उत्तर प्रदेश पुलिस को साइबर अपराधों से निपटने के लिए और अधिक सक्षम बनाने के उद्देश्य से विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। आधुनिक दौर में अपराधों के तरीके तेजी से बदल रहे हैं, खासकर क्रिप्टोकरेंसी और डार्क वेब से जुड़े अपराधों में वृद्धि हो रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए जयपुर स्थित सेंट्रल डिटेक्टिव ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में यूपी पुलिस के अधिकारियों और जवानों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
अपराधों की बदलती प्रकृति को देखते हुए प्रशिक्षण आवश्यक
समय के साथ साइबर अपराध के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं। अपराधी अब डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, क्रिप्टो ट्रांजैक्शन्स और डार्क वेब का उपयोग कर रहे हैं, जिससे उनकी पहचान करना कठिन होता जा रहा है। ऐसे मामलों की जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञता और नवीनतम साइबर सुरक्षा उपायों की जानकारी होना जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए यूपी पुलिस के जवानों और अधिकारियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिलाने की पहल की गई है।
प्रशिक्षण में किन विषयों पर ध्यान दिया जाएगा?
जयपुर स्थित ट्रेनिंग सेंटर में पुलिसकर्मियों को विभिन्न आधुनिक अपराधों से निपटने के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें मुख्य रूप से शामिल होंगे:
- पेपर लीक से संबंधित अपराधों की जांच और रोकथाम।
- गुमशुदा बच्चों की तलाश और उनसे जुड़े डिजिटल साक्ष्यों का विश्लेषण।
- नए साइबर कानूनों और साइबर अपराधों के मामलों को हल करने की विधियां।
- क्रिप्टोकरेंसी और डार्क वेब से जुड़े मामलों की विवेचना और कानूनी पहलू।
प्रत्येक जिले से पांच पुलिसकर्मियों का चयन
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सब-इंस्पेक्टर से लेकर एडिशनल एसपी स्तर तक के पांच पुलिसकर्मियों का चयन प्रत्येक जिले से किया जाएगा। इसके लिए पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय ने प्रयागराज पुलिस आयुक्त को भी निर्देश भेजा है, ताकि जल्द से जल्द नामों की सूची तैयार की जा सके।
यह पहल यूपी पुलिस को साइबर अपराधों से निपटने में और अधिक दक्ष बनाएगी, जिससे अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई संभव हो सकेगी।