आजमगढ़ जिले में पुलिस विभाग की साख के खिलाफ काम करने वाले एक उप निरीक्षक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई है। एसएसपी डॉ. अनिल कुमार ने रिश्वत मांगने के आरोप में देवगांव थाना क्षेत्र में तैनात उप निरीक्षक लाल बहादुर प्रसाद को न केवल निलंबित किया, बल्कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया।
यह कार्रवाई उस शिकायत के बाद हुई जिसमें एक वादी ने आरोप लगाया था कि मारपीट के मुकदमे में ‘तुरंत कार्रवाई’ करने के नाम पर उप निरीक्षक ने उससे पांच हजार रुपये की अवैध मांग की थी।
शिकायत में क्या था?
मिर्जापुर गांव निवासी आकाश चौहान ने पुलिस को बताया था कि ग्राम प्रधान सोनू प्रजापति और उसके कुछ साथियों ने पुरानी रंजिश के चलते उसके साथ मारपीट की, जिसमें उसे गंभीर चोटें आईं।
घटना के बाद देवगांव थाने में तीन नामजद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और इसकी विवेचना उप निरीक्षक लाल बहादुर प्रसाद कर रहे थे।
वादकार ने आरोप लगाया कि विवेचक ने अभियुक्तों को जेल भेजने और चार्जशीट लगाने के नाम पर उससे पांच हजार रुपये की रिश्वत की मांग की। शिकायत को सत्यापित करने के लिए वरिष्ठ अफसरों ने तत्काल गोपनीय जांच कराई।
जांच में सच आया सामने, एसएसपी ने दिखाई सख्ती
मामले की जांच क्षेत्राधिकारी लालगंज को सौंपी गई। जांच में यह साफ हो गया कि उप निरीक्षक ने वादी से धनराशि की मांग की थी और आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए गए। यह आचरण पुलिस विभाग के आचार संहिता और पेशेवर मर्यादा के खिलाफ माना गया।
जांच रिपोर्ट के आधार पर:
* उप निरीक्षक को तत्काल निलंबित किया गया
* उनके खिलाफ देवगांव थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया
* आरोपी को हिरासत में लेकर आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई
एसएसपी ने कहा कि विभाग में भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसी शिकायतों पर तत्काल और निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी।