UTTAR PRADESH में पुलिस कमिश्नरेट को 4 साल पूरे: 4 सालों में आलोक सिंह और लक्ष्मी सिंह ने अपने नाम बनाये NOIDA में यह रिकॉर्ड

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उत्तर प्रदेश में कमिश्नरेट सिस्टम को 4 साल पूरे हो गए हैं। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के प्रथम फेस में नोएडा और लखनऊ में इसे लागू किया गया था। इन दोनों जगह जब कमिश्नरेट प्रणाली सफल हुई, इसके बाद ही अन्य जगहों पर इसे लागू किया गया था। जब यहां प्रणाली को लागू किया गया तो आईपीएस आलोक सिंह को नोएडा का और आईपीएस सुजीत पांडेय को लखनऊ का पुलिस कमिश्नर बनाया गया था। खास तौर पर बात करें नोएडा पुलिस की तो नोएडा पुलिस के लिए ये प्रणाली काफी कारगर साबित हुई। आईपीएस आलोक सिंह का कानपुर ट्रांसफर होने के बाद आईपीएस लक्ष्मी सिंह को ये जिम्मेदारी सौंपी गई। वो पिछले एक साल से कमिश्नर के पद पर तैनात हैं। दोनों अफसरों ने मिलकर नोएडा की कानून व्यवस्था को संभालने के लिए कई कदम उठाए। इसी बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

लॉकडाउन के दौरान पहले सीपी ने जीता था लोगों का दिल

जब नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू की गई तो 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी आलोक सिंह को वहां का पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया। तेजतर्रार छवि के आलोक सिंह कानपुर के आईजी रह चुके हैं। मूल रूप से अलीगढ़ के रहने वाले आलोक सिंह को डीजीपी के सिल्वर और गोल्ड डिस्क से सम्मानित हैं। उन्होंने इटली और कैम्ब्रिज यूनिवसिर्टी में पुलिस ट्रेनिंग भी ली है। इसके अलावा सोनभद्र जिले में नक्सल क्षेत्रों में अच्छा काम करने पर उन्हें राष्ट्रपति का वीरता पदक दिया गया। आईपीएस आलोक सिंह ने जब गौतमबुद्ध नगर के पहले कमिश्नर के रूप में कार्यभार संभाला। तो इससे पहले ग्रेटर नोएडा और नोएडा को भू माफिया और कुख्यात अपराधियों का गढ़ माना जाता था। इन सभी चुनौतियों का सामना करके आलोक सिंह ने 6 महीने में ही कई अपराधियों पर नकेल कस दी। आलोक सिंह तीन साल तक गौतमबुद्ध नगर के कमिश्नर रहे। आलोक सिंह ने कोरोना काल के दौरान कई ऐसे कदम उठाए जिसको लेकर वह चर्चाओं में बने रहे। लॉकडाउन के दौरान अलोक सिंह के नेतृत्व में जिला पुलिस ने घर पर बंद 15000 से ज्यादा लोगों की मदद की। गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट के बाद आलोक सिंह कानपुर में एडीजी जोन के पद पर तैनात हैं। आलोक सिंह कौशाम्बी, बागपत्त, बस्ती, सोनभद्र, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, बिजनौर, कानपुर, मेरठ के कप्तान रह चुके हैं। इसके अलावा वह लखनऊ में सहायक पुलिस अधीक्षक होते हुए सीओ अलीगंज रहे थे। 32 वीं बटालियन पीएसी में वह सेनानायक भी रहे हैं।

आईपीएस लक्ष्मी सिंह ने भी किए कई काम

जिले की दूसरी पुलिस कमिश्नर बनीं आईपीएस लक्ष्मी सिंह गौतमबुद्ध नगर की पहली महिला पुलिस कमिश्नर थीं। वो मैकेनिकल इंजीनियर हैं। इसके बाद उन्होंने समाजशास्त्र से मास्टर डिग्री हासिल की और साल 2000 में उन्होंने यूपीएससी में टॉपर बनकर आईपीएस का चुनाव किया। साल 2014 में उन्हें आगरा में डीआईजी पद पर प्रमोट किया गया। सीपी लक्ष्मी सिंह को लेडी सिंघम के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें सीएम योगी आदित्यनाथ की पसंदीदा पुलिस अधिकारियों के रूप में भी जाना जाता है। ईमानदार और तेज तर्रार छवि के कारण साल 2019 में उन्हें राजधानी लखनऊ की जिम्मेदारी दी गई।

जिले की कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने में

उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नर के रूप में 2000 बैच की महिला आईपीएस लक्ष्मी सिंह ने एक दिसम्बर 2022 को अपना चार्ज ग्रहण किया था। आईपीएस लक्ष्मी सिंह जनपद का चार्ज लेते ही जिले की कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने में लगातार प्रयासरत हैं। पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने 1 साल के अंदर ही बड़े-बड़े कुख्यात माफिया को जेल भेजा है। ग्रेटर नोएडा में हुए इंटरनेशनल मोटोजीपी रेस और उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो जैसे कार्यक्रमों को सफलता पूर्वक संपन्न कराने में कामयाब रही हैं।

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