श्रावण मास में जारी पावन कांवड़ यात्रा के दौरान एक छोटी सी भूल ने दो श्रद्धालुओं को चिंता में डाल दिया, लेकिन समय रहते सक्रिय हुई उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी मुस्तैदी और संवेदनशीलता से यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ कानून व्यवस्था ही नहीं, बल्कि आस्था की रक्षा का भी संकल्प निभा रही है।
ये है मामला
घटना मुजफ्फरनगर जनपद के भोपा थाना क्षेत्र की है, जहां शनिवार तड़के राजस्थान से आए कांवड़िए कृष्ण सिंह को उस वक्त झटका लगा जब उन्होंने देखा कि उनकी कांवड़ शिविर से गायब है। असमंजस की इस घड़ी में उन्होंने तुरंत पुलिस से संपर्क किया। शिकायत मिलते ही थाना भोपा की टीम सक्रिय हो गई और बिना देरी किए कांवड़ की तलाश में जुट गई।
पुलिस की सतत पड़ताल और कांवड़ मार्ग पर लगे शिविरों की जांच के बाद कुछ घंटों के भीतर कांवड़ जोली नहर पुल के पास एक शिविर के बाहर मिली। इस दौरान यह भी पता चला कि कृष्ण सिंह की कांवड़ को गलती से एक अन्य श्रद्धालु—राहुल, निवासी अलवर—अपनी समझकर ले गया था। उसे भी इस बात का आभास नहीं था कि वह किसी और की कांवड़ लेकर आगे बढ़ चुका है।
जब दोनों कांवड़िए पुलिस की मदद से आमने-सामने आए, तो कोई नाराजगी नहीं थी—बस श्रद्धा और सच्ची आभार की भावना थी। कांवड़ लौटते ही दोनों ने मुस्कराते हुए पुलिस को धन्यवाद कहा और शिवभक्ति के पथ पर पुनः आगे बढ़ चले।
श्रद्धालुओं का विश्वास हो रहा है गहरा
इस छोटी-सी घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि यूपी पुलिस केवल सुरक्षा का ही नहीं, श्रद्धा, सहयोग और संवेदनशीलता का भी पर्याय बन चुकी है। कांवड़ यात्रा जैसे विशाल धार्मिक आयोजनों के बीच जब प्रशासन हर मोर्चे पर जिम्मेदारी से डटा हो, तो यात्रा न केवल सुरक्षित होती है, बल्कि श्रद्धालुओं का विश्वास भी और गहरा होता है।