मिर्जापुर: चश्मा विवाद में वायरल वीडियो का सच आया सामने, इंस्पेक्टर पर लगे गलत आरोप

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मिर्जापुर शहर कोतवाली क्षेत्र के रमईपट्टी इलाके में स्थित चश्मा प्वाइंट नामक प्रतिष्ठित दुकान पर हुए एक कथित विवाद का वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें एक पुलिस निरीक्षक पर ‘जबरन चश्मा ले जाने’ का आरोप लगाया गया था। हालांकि, पुलिस जांच में इस वायरल वीडियो की सच्चाई कुछ और ही निकली है।

क्या है वायरल वीडियो का दावा?

वीडियो में यह दिखाने की कोशिश की गई कि एक इंस्पेक्टर, बिना भुगतान किए जबरन चश्मा लेकर दुकान से निकल गया और जाते-जाते दुकानदार को कथित रूप से अपशब्द और धमकी भी दी। दुकानदार डॉ. अजीत सिंह का आरोप है कि 25 जुलाई की शाम एक पुलिस अधिकारी उनकी दुकान पर चश्मा मरम्मत कराने पहुंचे थे।

पहले से तय ग्लास की कीमत बताने के बाद भी इंस्पेक्टर ने पैसे देने से इनकार कर दिया और जबरन चश्मा लेकर चले गए। दुकानदार का कहना है कि इस पूरे वाकये की रिकॉर्डिंग दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो चुकी है।

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जांच में सामने आई दूसरी तस्वीर

इस वीडियो और आरोपों पर जब मामला तूल पकड़ने लगा तो मिर्जापुर पुलिस हरकत में आई। क्षेत्राधिकारी नगर द्वारा कराई गई जांच में सामने आया कि इंस्पेक्टर राकेश कुमार सिंह ने तीन दिन पहले ही चश्मे के लिए ₹5000/- की ऑनलाइन एडवांस पेमेंट संबंधित दुकान को कर दी थी। जब निर्धारित तिथि पर वह चश्मा लेने पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि अभी ₹800/- और देने होंगे, तभी चश्मा मिलेगा।

इस पर इंस्पेक्टर ने आपत्ति जताई कि पहले ही पूरी रकम दी जा चुकी है, फिर यह अतिरिक्त मांग क्यों? इसी बात पर दोनों पक्षों में कहासुनी हुई। पुलिस का कहना है कि इसी दौरान का एक छोटा-सा क्लिप काटकर वायरल कर दिया गया, जिससे यह भ्रामक संदेश गया कि पुलिसकर्मी पैसे दिए बिना चश्मा ले गए।

पुलिस की ओर से उस ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का स्क्रीनशॉट भी सार्वजनिक किया गया है जिसमें साफ देखा जा सकता है कि ₹5000/- का एडवांस भुगतान पहले ही कर दिया गया था।

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दोनों पक्षों का अलग-अलग दावा, जांच जारी

जहां एक ओर दुकान मालिक ग्लास की कीमत अलग से मांगने को जायज़ बता रहे हैं, वहीं पुलिस का कहना है कि कुल सौदे की रकम पहले ही अदा की जा चुकी थी और यह वीडियो आंशिक सच्चाई के साथ भ्रम फैलाने वाला है।

फिलहाल, मिर्जापुर पुलिस पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच कर रही है और यह स्पष्ट कर चुकी है कि वायरल वीडियो के आधार पर किसी भी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।

 

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