आज यूपी पुलिस के कार्यवाहक डीजीपी के कार्यकाल का आज आखिरी दिन है, लेकिन अभी तक विभाग के नए मुखिया के नाम का ऐलान नहीं हुआ है। ऐसे में अभी तक बस लोग ये कयास लगा रहे हैं, कि आखिर अब ये जिम्मेदारी किसे दी जाएगी। यूपी पुलिस विभाग को काफी लंबे समय से स्थायी डीजीपी नहीं मिला है। ऐसे में इस बार भी ऐसी ही खबर सामने आ रही है कि, इस बार भी विभाग को कार्यवाहक डीजीपी ही मिलेगा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि स्थायी डीजीपी के चयन की प्रक्रिया काफी पहले शुरू हो जाती है, लेकिन अभई तक इस बार इसकी शुरुआत नहीं हुई है।
ऐसे होता है चयन
जानकारी के मुताबिक, अगर डीजीपी के चयन की प्रक्रिया की बात करें तो देश के किसी भी राज्य के डीजीपी की नियुक्ति के लिए सरकार को डीजी रैंक के ऐसे आईपीएस अधिकारियों के नाम संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजना होता है, जिनका कार्यकाल कम से कम छह महीने का बचा हुआ हो।
इस आयोग में यूपीएससी के चैयरमैन या यूपीएससी का सदस्य इम्पैनलमेंट कमेटी के अध्यक्ष होते हैं। इसके अलावा भारत सरकार के गृह सचिव या विशेष सचिव, राज्य के मुख्यसचिव, वर्तमान डीजीपी व केंद्रीय बल का कोई एक प्रमुख शामिल होता हैं। आयोग तीन सबसे सीनियर आईपीएस अफसरों का एक पैनल राज्य सरकार को भेजता है।
इन्हें बनाया जाता है स्थायी डीजीपी
अगर सुप्रीम कोर्ट के नियमों की मानें तो उस अफसर को स्थायी डीजीपी बनाया जा सकता है, जिनके रिटारयमेंट में दो साल बाकी हों। इसी के चलते डीजीपी की नियुक्ति कम से कम दो वर्ष के लिए होती है। अगर बात करें डीजीपी को उनके पद से हटाने की तो डीजीपी को तब हटाया जा सकता है, जब वह अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो।