साल की शुरुआत में एक बार फिर से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 11 जिलों के पुलिस कप्तानों समेत 16 आईपीएस के तबादले किए हैं। दरअसल, अब दोबारा से जारी हुई लिस्ट में आईपीएस कलानिधि नैथानी को झांसी रेंज का डीआईजी बनाया गया है। आईपीएस कलानिधि हमेशा अपने कार्यों की वजह जाने जाते हैं। वो न तो खुद काम में लापरवाही दिखाते हैं, और ना ही किसी अधीनस्थ को लापरवाही करने देते हैं। ऐसे में झांसी रेंज में जब वो कार्यभार संभालेंगे तो कानून व्यवस्था और भी ज्यादा मजबूत होने की संभावना जताई जा रही है।
कौन हैं आईपीएस कलानिधि नैथानी
जानकारी के मुताबिक, अगर बात करें इनके कार्यकाल की तो 2010 बैच के आईपीएस कलानिधि नैथानी इस तबादला लिस्ट आने से पहले उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे, लेकिन अब उन्हें झांसी का डीआईजी बनाया गया है। वह उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले हैं।उनकी मां कुसुम नैथानी राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हैं। उन्होंने पौड़ी गढ़वाल के सरकारी गर्ल्स कॉलेज और देहरादून के कॉलेज में प्रिंसिपल के तौर पर काम किया है। पिता उमेश चंद्र नैथानी गढ़वाल विश्वविद्यालय से रिटायर्ड प्रोफेसर हैं। दादा भी शिक्षक थे। चाचा सुनील नैथानी आर्मी में एजुकेशन विंग में कर्नल रहे हैैं।
कलानिधि नैथानी को अनुशासनप्रिय और कड़क पुलिस अधिकारी माना जाता है। वह हर जिले में अपनी एक अलग छाप छोड़ने की कोशिश करते हैं। अपनी कार्यशैली की वजह से उन्हें कई बार सम्मानित किया गया है। आईपीएस में चयन के बाद कलानिधि नैथानी पीलीभीत, बरेली, कुंभमेला, सहारनपुर में सहायक पुलिस अधीक्षक, पीएसी की 38वीं और नौवीं वाहिनी में सेनानायक, पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद में पुलिस अधीक्षक, कन्नौज, फतेहपुर, मिर्जापुर और पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक के बाद बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर रहे। 2010 बैच के आईपीएस ऑफिसर कलानिधि नैथानी ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर गाजियाबाद तक में तैनाती के दौरान अपनी छाप छोड़ी।
जरूरतमंदों को न्याय दिलाना है प्राथमिकता
अगर इनकी प्राथमिकताओं की बात करें तो हर जरूरतमंद को न्याय दिलाना और पुलिस व जनता के बीच बेहतर समन्वय विकसित करना इनकी प्राथमिकता है। इसके साथ ही जनहित में काम करना इन्हें बेहद पंसद आता है। वो अक्सर पुलिसकर्मियों को भी उनका दायित्व याद दिलाते रहते हैं। हमेशा से कानून के दायरे में रहकर ड्यूटी करना और अपराध को नियंत्रित करना इनका मकसद रहा है। वो इसमें सफल भी रहते हैं।