यूपी के जालौन जिले में कुठौंद थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अरुण कुमार राय की रहस्यमय मौत ने पूरे पुलिस महकमे को सोच में डाल दिया है। शुरुआत में लगा कि उन्होंने खुद को गोली मार ली होगी, लेकिन जैसे-जैसे नए तथ्य सामने आ रहे हैं, मामला आत्महत्या से अधिक संदिग्ध मौत की ओर झुकता नजर आ रहा है। जांच अभी शुरुआती दौर में है, इसलिए पुलिस किसी नतीजे पर पहुंचने से बच रही है।
ये है मामला
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार की रात लगभग 9:30 बजे थाना परिसर में अचानक गोली चलने की आवाज सुनाई दी। गोली की आवाज इतनी तेज थी कि थाने में मौजूद पुलिसवाले तुरंत क्वार्टर की तरफ भागे। जब दरवाजा खोला गया तो अंदर का नजारा चौंकाने वाला था—इंस्पेक्टर अरुण बेड पर खून से भीगे पड़े थे और उनकी सर्विस रिवॉल्वर पास में ही पड़ी थी। साथी उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए, लेकिन उरई मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। घटना की गंभीरता को देखते हुए डीएम और एसपी भी रात में ही थाने पहुँच गए।
जिस दिन ये हादसा हुआ, उससे कुछ घंटे पहले ही वे दो अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल हुए थे—पहले थाने के पास चल रहे यज्ञ में गए, फिर एक शादी समारोह में आशीर्वाद देकर लौटे। रात करीब 9 बजे उन्होंने अपनी पत्नी से फोन पर बात की और बताया कि वे आराम करने जा रहे हैं। इसके थोड़ी देर बाद ही सब कुछ बदल गया।
घटना को और उलझा देने वाली बात यह है कि गोली चलते ही एक महिला सिपाही कमरे से बाहर निकली और चिल्लाई—“साहब ने खुद को गोली मार ली!” फिर वह वहां से दूर चली गई। उसके बाहर आने और बयान देने की टाइमिंग ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इसी वजह से पुलिस उसकी भूमिका को भी ध्यान से जांच रही है।
एसपी ने दी जानकारी
एसपी दुर्गेश कुमार ने पुष्टि की है कि महिला सिपाही मीनाक्षी शर्मा ने ही सबसे पहले घटना की जानकारी दी थी। इस समय उससे गहन पूछताछ की जा रही है। दूसरी ओर, शनिवार दोपहर इंस्पेक्टर अरुण की पत्नी माया ने पुलिस को तहरीर देकर सीधे मीनाक्षी पर हत्या करवाने या हत्या करने का आरोप लगाया है। परिवार की शिकायत के बाद मामला और अधिक गंभीर हो गया है।
फिलहाल, पुलिस आत्महत्या और हत्या—दोनों ही एंगल से जांच कर रही है। कई सवाल जवाब मांग रहे हैं: गोली किस समय चली? कमरे में कौन-कौन मौजूद था? महिला सिपाही वहां किस वजह से थी? और सबसे बड़ा सवाल—क्या यह वाकई आत्महत्या थी या इसके पीछे कोई गहरी साजिश छिपी है?