जिले की पुलिस अब अपनी सांस देकर दूसरों की जान बचाएगी। पुलिस को सीपीआर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत शुक्रवार को एसपी अभिषेक वर्मा ने मेरठ रोड पुलिस लाइन में की। वहां जिले के सभी थानों के प्रभारियों और पुलिसकर्मियों को डॉक्टरों ने बताया कि इमरजेंसी में घायल या पीड़ित को कैसे अपनी सांस देकर उसकी जिंदगी बचानी है। पुलिस के महिला-पुरुष जवान लोगों को सीपीआर देकर जान बचाएंगे।
पुलिसकर्मी ऐसे करेंगे मदद
अक्सर आपने देखा होगा कि सीपीआर देने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं। अब प्रक्रिया को कंपलसरी कर दिया गया है। पुलिस को डॉक्टर बकायादा प्रशिक्षण दे रहे हैं। इमरजेंसी में पुलिस के जवान लोगों की जान बचा सकेंगे। प्रशिक्षण के दौरान सीपीआर या कृत्रिम श्वसन की जानकारी देते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि कई बार व्यक्ति की अचानक सांस रुक जाती है या फिर कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में सांस नहीं आती है। इस अवस्था में सीपीआर देकर लोगों की जान बचाई जा सकती है।
जवान बचाएंगे दूसरों की जान
सीपीआर के जरिए बेहोश व्यक्ति को सांस देने से फेंफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है। इससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होने लगता है। सीएचसी के डॉक्टर प्रवीण गुप्ता की टीम ने पुलिसकर्मियों को सीपीआर प्रशिक्षण दिया। डॉक्टर प्रवीण गुप्ता ने बताया कि सीपीआर कोई दवा या इंजेक्शन नहीं है। यह एक तरह की प्रक्रिया है, इसका इस्तेमाल मरीज के शरीर पर किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में व्यक्ति की सांस रुक जाने पर सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है। इससे शरीर में पहले से मौजूद खून संचारित होने लगता है और व्यक्ति के साथ कोई अनहोनी नहीं होती है।