हापुड़। सावन का महीना आते ही जब शिवभक्त ‘हर हर महादेव’ के जयघोष के साथ पवित्र कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं, तब रास्ते की सबसे बड़ी ताकत बनकर खड़ी होती है—पुलिस। इस बार हापुड़ जिले में पुलिस ने सिर्फ सुरक्षा की भूमिका नहीं निभाई, बल्कि ‘सेवकों में सेवा भाव’ का ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो श्रद्धालुओं के दिलों को छू रहा है।
कर रहे हर संभव मदद
हाफिजपुर और हापुड़ देहात थाना क्षेत्र में बनाए गए कांवड़ शिविरों में पुलिसकर्मी न सिर्फ कानून व्यवस्था संभाल रहे हैं, बल्कि चोटिल या थके हुए श्रद्धालुओं की मरहम-पट्टी भी कर रहे हैं।
पिलखुवा के सर्किल अधिकारी और थाना प्रभारी स्वयं इन शिविरों में लगातार मौजूद रहकर व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं। आगरा-हापुड़ हाईवे पर दिन-रात पुलिस टीमों द्वारा प्राथमिक उपचार और आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
भक्तों के पैरों में छाले हों या बदन में थकान—हापुड़ पुलिसकर्मी न केवल दवा दे रहे हैं, बल्कि पानी पिलाकर, कंधा पकड़कर और मनोबल बढ़ाकर इस कठिन यात्रा को आसान बना रहे हैं।
एसपी ज्ञानंजय सिंह ने सभी थाना प्रभारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे न केवल सतर्क रहें, बल्कि कांवड़ियों से संवाद करके हर संभव सहायता दें—चाहे वह दवा की हो, दिशा की हो या दिलासा की।
कांवड़ियों का जत्था जैसे ही आगे बढ़ता है, पुलिसकर्मी हाथ जोड़कर ‘बम बम भोले’ के जयकारे लगाते हैं। यह केवल ड्यूटी नहीं, एक जुड़ाव है—जिसमें श्रद्धा है, सुरक्षा है और संवेदना भी।
ग्वालियर से आए कांवड़िए ऋषभ गुर्जर कहते हैं, “हम पहली बार किसी जिले में पुलिस को इतनी संवेदनशीलता से काम करते देख रहे हैं। हमें यहां न केवल राहत मिल रही है, बल्कि अपनापन भी महसूस हो रहा है।”
जब वर्दी सेवा का पर्याय बन गई
हापुड़ पुलिस की यह भूमिका यह दिखाती है कि वर्दी सिर्फ कानून की प्रतीक नहीं है, वह जरूरत पड़ने पर सेवा और संवेदना की जीवंत मिसाल भी बन सकती है। इस कांवड़ यात्रा में जहां एक ओर भक्ति की लहर बह रही है, वहीं दूसरी ओर खाकी अपने मानवीय रूप से हर कदम पर साथ निभा रही है।