राजधानी स्थित लखनऊ गोल्फ क्लब एक बार फिर अपना नया अध्यक्ष और सचिव चुनने की तैयारी कर रहा है। 26 नवंबर को क्लब का चुनाव होना है, जिसके बाद नई कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। हर बार की तरह इस बार भी अध्यक्ष पद के लिए नौकरशाह दावेदार हैं। सीनियर IPS अफसर सुभाष चंद्रा इस पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं और उनको टक्कर दे रहे हैं बैंक ऑफ इंडिया के रिटायर्ड अधिकारी अवधेश सिंह। करीब 2,300 सदस्यों वाले इस क्लब में ज्यादातर सदस्य शहर के बड़े व्यापारी हैं, मगर अध्यक्ष और सचिव पद पर अरसे से नौकरशाहों का ही दबदबा रहा है। 1990 में पहली बार IAS अफसर राज भार्गव क्लब के अध्यक्ष बने थे। इसके बाद राज भार्गव, सीएम वासुदेव, बृजेंद्र सहाय, एपी वर्मा, टीबी भल्ला, देश दीपक वर्मा, नवनीत सहगल, मुकुल सिंघल, यूके बंसल जैसे चर्चित नौकरशाओं के पास अध्यक्ष या सचिव के पद रहे। चुनाव का वक्त है तो यह सवाल फिर खड़ा हो रहा है कि आखिर नौकरशाहों को गोल्फ क्लब क्यों भाता है?
साल 2000 में सामने आ गए थे दो IAS
क्लब के कैप्टन आदेश सेठ के मुताबिक आमतौर पर अध्यक्ष या सचिव पद के लिए जब भी कोई नौकरशाह खड़ा होता है, तो उसे निर्विरोध ही चुन लिया जाता था। हालांकि, साल 2000 में ये प्रथा टूट गई। उस समय प्रदेश के दो बेहद ताकतवर IAS अफसर पीएल पुनिया और दिनेश राय के बीच सचिव बनने की होड़ मच गई। ऐसे में चुनाव करवाना पड़ा, जिसमें दिनेश राय की जीत हुई। ऐसा ही 2021 में अध्यक्ष पद के लिए हुआ। तब तत्कालीन राजस्व परिषद अध्यक्ष मुकुल सिंघल और ताकतवर IAS नवनीत सहगल आमने-सामने थे। 2021 का चुनाव लखनऊ गोल्फ क्लब के इतिहास में सबसे कड़ा मुकाबला था, जिसमें मुकुल सिंघल ने जीत हासिल की थी।
फिर भी मेंबर बनने की मारामारी
लखनऊ गोल्फ क्लब की गिनती शहर के सबसे प्रतिष्ठित क्लब में होती है। यहां की मेंबरशिप को ‘स्टेटस सिंबल’ के तौर पर देखा जाता है। क्लब की महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 12.50 लाख रुपये परमानेंट मेंबरशिप फीस होने के बाद भी मेंबरशिप के लिए लोगों का तांता लगा रहता है। यही वजह है कि क्लब ने पिछले कुछ समय से मेंबरशिप देना बंद कर दिया है, क्योंकि सदस्यों की संख्या 2300 तक पहुंच गई है।
18 साल से अध्यक्ष ब्यूरोक्रेट
2005-07 : यूके बंसल (IPS)
2007-12 : देश दीपक वर्मा, आईएएस, ड़ॉ आरयू रे (सभी IAS)
2012-17 : नवनीत सहगल (IAS)
2017-19 : देश दीपक वर्मा (IAS), 2019 में देश दीपक के पद छोड़ने पर जेपीएस सियाल अध्यक्ष बने
2019-23 : मुकुल सिंघल (IAS)
सचिव पद पर भी नौकरशाह
1995-99 : लक्ष्मी चंद (IAS)
1999-2000 : दिनेश राय (IAS)
2002-07 : प्रभात सी चतुर्वेदी(IAS)
2012-13 : जाविद अहमद (IPS)
2013-17 : डॉ. सुभाष चंद्रा (IPS)
200 से अधिक का है स्टाफ
1.50 करोड़ रुपये सालाना स्टाफ की सैलरी पर होते हैं खर्च
देश के 128 क्लब इससे जुड़े हैं
सदस्य एफिलेटेड क्लबों में भी खेल सकते हैं गोल्फ
कहीं यह वजह तो नहीं?
15 अगस्त, 1947 को जब देश आजाद हुआ, तो शहर के संभ्रांत लोग इस क्लब से जुड़े। क्लब के कैप्टन आदेश सेठ के मुताबिक, 1951 में तत्कालीन मंत्री बाबू मंगला प्रसाद, IAS भगवती शरण सिंह और प्रसिद्ध बुकसेलर राम आडवाणी ने क्लब को संवारने का जिम्मा लिया। मगर 1990 के बाद से IAS अफसरों का क्लब में हस्तक्षेप बढ़ता गया। इसकी एक बड़ी वजह यह भी मानी जाती है कि क्लब की जमीन लीज पर है। एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक क्लब की जमीन ला-मार्टिनियर कॉलेज से लीज पर ली गई है। ऐसे में कोई विवाद न हो, इसलिए सदस्य नौकरशाहों को अध्यक्ष या सचिव चुन लेते हैं। क्लब में दिलचस्पी की एक बड़ी वजह यहां का भारी-भरकम बजट भी है। क्लब के पास अरबों की संपत्तियां हैं। इसके अलावा स्पॉन्सरशिप और टूर्नामेंट के जरिए भी करोड़ों की कमाई होती है। साथ ही शहर के सबसे प्रतिष्ठित क्लब का अध्यक्ष या सचिव होना किसी नौकरशाह के लिए प्रतिष्ठा का विषय होता है।