गाजीपुर जिले के रामपुर मांझा थाना क्षेत्र में एक महिला की आत्महत्या की कोशिश को सिर्फ आठ मिनट की रेस्क्यू कार्रवाई ने टाल दिया। यह संभव हो सका मेटा (Meta) कंपनी की सोशल मीडिया निगरानी और यूपी पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया से।
ये है मामला
शुक्रवार रात लगभग 10:35 बजे एक 30 वर्षीय महिला ने इंस्टाग्राम पर ऐसा पोस्ट डाला, जिसने खतरे की घंटी बजा दी। तस्वीर में वह दवाइयों की अधिक मात्रा ले चुकी थी और गले पर ब्लेड से काटे घाव से खून बहता हुआ नजर आ रहा था। यह दृश्य जैसे ही मेटा की मॉनिटरिंग टीम की नज़र में आया, उन्होंने तत्काल यूपी पुलिस मुख्यालय को इसकी जानकारी भेजी।
मुख्यालय ने तुरंत लखनऊ सोशल मीडिया सेंटर को सक्रिय किया, जिन्होंने गाजीपुर पुलिस को महिला की लोकेशन ट्रेस कर जानकारी दी। रामपुर मांझा थाने की पुलिस टीम उपनिरीक्षक और महिला आरक्षी के साथ महज 8 मिनट में लोकेशन पर पहुंच गई।
जब पुलिस महिला के घर पहुंची, वह कमरे में बिस्तर पर तड़प रही थी, और गले से खून बह रहा था।पुलिस ने परिजनों की मदद से महिला को तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद उसकी हालत स्थिर हो गई।
कर्ज की वजह से उठाया कदम
पूछताछ में सामने आया कि महिला ने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया था और पति की सहमति से एक स्वयं सहायता समूह से ₹50,000 का कर्ज लिया था। समस्या तब शुरू हुई जब पति ने अचानक उससे दूरी बना ली और कर्ज की किस्तें चुकाना बंद कर दिया।
संस्था द्वारा बार-बार संपर्क करने पर महिला तनाव में आ गई। पति की बेरुखी और आर्थिक दबाव ने उसे इस हद तक पहुंचा दिया कि उसने आत्महत्या जैसा कदम उठाने की कोशिश की।
लेकिन सोशल मीडिया मॉनिटरिंग और पुलिस की सतर्कता ने न केवल उसकी जान बचाई, बल्कि यह उदाहरण भी पेश किया कि टेक्नोलॉजी और पुलिसिंग का सही तालमेल जीवन रक्षा में कितना अहम हो सकता है।