ड्रग्स मामले में बड़े खुलासे के बाद नोएडा के 10 पुलिसकर्मी फंसे

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गौतमबुद्ध नगर में 10 पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जिनकी संलिप्ता से सैकड़ों करोड़ रुपए का ड्रग्स ग्रेटर नोएडा में बना। दरअसल, बीते 17 मई 2023 को ग्रेटर नोएडा के बीटा-2 कोतवाली क्षेत्र में स्थित एक मकान में ड्रग फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया गया था। इस मामले में पहले से सवाल खड़े थे कि क्या पुलिसकर्मियों की ड्रग्स फैक्ट्री चलवाने में संलिप्त हैं? इस मामले की जांच गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने ग्रेटर नोएडा के डीसीपी को दी। करीब 4 महीने तक इस मामले में गंभीरता जांच की गई और अब हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है। ड्रग्स फैक्ट्री चलाने में ग्रेटर नोएडा के 10 पुलिसकर्मियों की संलिप्ता पाई गई है। इसकी पूरी रिपोर्ट बनाकर डीसीपी ने पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह को भेज दी। जिसके बाद अब इन 10 पुलिसकर्मियों पर गाज गिर सकती है। माना जा रहा है कि इन पुलिस कर्मियों की वजह से ही गौतमबुद्ध नगर पुलिस की वर्दी पर दाग लगा है।

चौकी और प्रभारी अधिकारियों के नाम शामिल
जानकारी के मुताबिक इसमें कई प्रभारियों की भी संलिप्तता बताई जा रही है। हालांकि इसमें कौन-कौन पुलिसकर्मी शामिल हैं, इसका खुलासा उन्होंने नहीं किया। बीटा दो थाना क्षेत्र में 31 मई को मित्रा सोसाईटी में यह फैक्टरी पकड़ी गई थी। पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने कहा कि जांच में जिन पुलिसकर्मियों के नाम आए हैं, उन पर कार्रवाई होगी। जांच के दायरे में आए पुलिसकर्मियों की संख्या 10 से अधिक भी हो सकती है। जांच रिपोर्ट में 2019 में यह फैक्टरी स्थापित होने से लेकर 2023 में पकड़े जाने के दौरान थाना, चौकी और प्रभारी अधिकारियों के नाम हैं।

ड्रग्स की कीमत थी 300 करोड़ रुपए
ग्रेटर नोएडा की ड्रग्स फैक्ट्री तीन साल से चल रही थी। इस ट्रक फैक्ट्री में अब तक कितने मादक पदार्थ बनाए जा चुके हैं? इसका अंदाजा लगाना पुलिस के लिए संभव नहीं है। इस ऑपरेशन में शामिल रहे पुलिस अफसरों का कहना था कि कार्यवाही के दौरान 46 किलोग्राम तैयार एमडीएमए ड्रग्स मिला है। करीब इतनी ही मात्रा में रसायन मिले हैं। इन सब की कीमत 300 करोड़ रुपए है। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले 3 वर्षों के दौरान इन लोगों ने कितना ड्रग्स बनाया होगा। उस ड्रग्स की मात्रा और उसकी कीमत का अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है। पुलिस का मानना है कि इन लोगों ने हजारों करोड़ रुपए का ड्रग्स बनाकर ना केवल दिल्ली-एनसीआर बल्कि देशभर में खपाया है। अब पुलिस इस गैंग को केमिकल सप्लाई करने वालों और तैयार ड्रग्स को डिस्ट्रीब्यूट करने वालों का पता गाने में जुट गई है।

150 करोड़ की एमडीएमए बरामद की थी
इस मामले में पुलिस ने ड्रग्स फैक्टरी से लगभग 150 करोड़ की एमडीएमए बरामद की थी। मामले में अफ्रीका मूल के साइमन, केसिएना रिमी और इग्वे साइमन को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। स्वाट टीम, बीटा-2 व कासना थाना पुलिस की संयुक्त टीम ने यह फैक्टरी पकड़ी थी। इसका लिंक 16 मई को सूरजपुर थाना एरिया के थीटा-2 में पकड़ी गई ड्रग्स फैक्ट्री के संचालन में शामिल एक आरोपी से रिमांड पर पूछताछ में पुलिस को मिला था।

इन 5 लाख लोगों को सप्लाई होता ड्रग्स
गौतमबुद्ध नगर उत्तर भारत का सबसे बड़ा एजुकेशन हब है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 10 विश्वविद्यालय हैं। करीब 150 दूसरे शिक्षण संस्थान हैं। इनमें तीन लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। जिले में 50 से ज्यादा मुल्कों के छात्र हैं। ड्रग्स कार्टेल की नजर इन 3 लाख स्टूडेंट्स पर थी। इसके अलावा पूरे दिल्ली-एनसीआर में युवा पेशेवर इनके सबसे बड़े खरीदार बताए जाते हैं। अकेले गौतमबुद्ध नगर में यूथ प्रोफेसनल्स की संख्या दो लाख है।

कहां पर थी ड्रग्स बनाने की फैक्ट्री

सारे अभियुक्त अफ्रीकी मूल के निवासी हैं और दिल्ली-एनसीआर रीजन में ड्रग्स सप्लाई सिंडीकेट चलाते थे। यहीं इनका बेस था। हाल में ग्रेटर नोएडा के सेक्टर थीटा-2 स्थित मकान नंबर 279 में इन्होंने एक फैक्ट्री सैट-अप बनाया था। ड्रग्स मैन्यूफैक्चरिंग के बाद ये उसकी सप्लाई दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में करते थे। इनके रॉ मैटेरियल और केमिकल सप्लायर्स थे।

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