उत्तर प्रदेश के डीजीपी राजीव कृष्ण ने महिला पीड़िताओं से जुड़े मामलों में जांच प्रक्रिया को अधिक संवेदनशील और पारदर्शी बनाने के लिए प्रदेशभर की पुलिस इकाइयों को सख्त आदेश जारी किया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अब किसी भी महिला पीड़िता का बयान पुरुष अधिकारी द्वारा दर्ज नहीं किया जाएगा। यह कार्य केवल महिला पुलिस अधिकारी या महिला प्रशासनिक अधिकारी ही करेंगी।
वीडियोग्राफी होगी अनिवार्य
डीजीपी के निर्देश के अनुसार, पीड़िता का बयान उसके घर या उसकी पसंद के किसी सुरक्षित स्थान पर दर्ज किया जाना चाहिए। साथ ही बयान दर्ज करते समय पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य होगा, ताकि दस्तावेजी प्रमाण में कोई विवाद न रह जाए।
आदेश में यह भी कहा गया है कि विवेचना के दौरान किसी भी साक्षी से उसके बयान पर हस्ताक्षर नहीं लिए जाएँगे। यह प्रावधान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के विपरीत है और इस तरह की त्रुटि होने पर फायदा आरोपी पक्ष को मिल जाता है, जिससे पीड़िता के न्याय का अधिकार प्रभावित होता है।
डीजीपी ने दी चेतावनी
डीजीपी ने सभी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि बयान दर्ज करने की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही मिलने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई तय होगी। उन्होंने कहा कि निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना ही निष्पक्ष जांच और न्याय सुनिश्चित करने का आधार है।