एडीजीपी आत्महत्या प्रकरण की जांच फिलहाल एक गतिरोध में फँसी हुई है। मामला इसलिए उलझा है क्योंकि कुछ बेहद ज़रूरी चीजें अभी तक सामने नहीं आई हैं। सूत्रों के अनुसार, मृतक की लैपटॉप को परिवार ने पुलिस को देने से मना कर दिया है — और यही वह डिवाइस माना जा रहा है जिसमें फाइल नोट टाइप हुआ था। इस कदम ने जांच को जटिल बना दिया है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का कर रहे इंतजार
जांच अधिकारी इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि सबसे पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी चाहिए। इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो सकेगा कि मौत वास्तव में आत्महत्या थी या किसी दूसरे कारण से हुई। साथ ही, यह भी पता नहीं चल पाया है कि आदरणीय अधिकारी ने अपने जीवन के आखिरी समय में किन्हीं व्यक्तियों को ईमेल भेजे थे, और किस संदर्भ में। यदि वह लैपटॉप पुलिस की पहुंच में होता तो फॉरेंसिक और फिंगरप्रिंट विश्लेषण से यह जाना जा सकता था कि नोट किसने लिखा।
एसआईटी ने जेल में बंद गनमैन सुशील से पूछताछ की संभावना जताई है। सूत्रों के अनुसार सुशील उसके खिलाफ दर्ज FIR का पूरा रिकॉर्ड भी मांगा गया है। इसके अलावा, जांचकर्ताओं का मानना है कि सुशील ही वह व्यक्ति हो सकता है जो आत्महत्या से पहले या उसके बाद किसी हेराफेरी में शामिल रहा हो।
हो रही है जांच
डीएसपी चरणजीत सिंह विर्क ने परिवार को स्पष्ट किया है कि पोस्टमार्टम में देरी कई अहम सबूतों को नष्ट कर सकती है। इस बात पर भी सहमति बनी है कि पोस्टमार्टम के दौरान एक बैलिस्टिक विशेषज्ञ और मजिस्ट्रेट को भी शामिल किया जाए, ताकि निष्कर्ष निष्पक्ष और वैज्ञानिक हो सके।
मामला तब और भी पेचीदा हुआ जब शव को कई दिन बीत चुके हैं और डीकम्पोजीशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है — ऐसे में शव एवं कपड़ों पर मौजूद अवशेषों (जैसे गनपाउडर, निशान आदि) प्रभावी ढंग से पढ़ना मुश्किल हो सकता है। फिलहाल एसआईटी ने रोहतक पहुँच गई है और मामले में शामिल व्यक्तियों से पूछताछ कर रही है, ताकि नाजुक समय रहते सबूत जुटाए जा सकें।