कानपुर। चर्चित अपराधी अखिलेश दुबे के नेटवर्क पर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। ताजा कार्रवाई में ग्वालटोली थाने के पूर्व प्रभारी इंस्पेक्टर सभाजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। उस पर गंभीर आरोप हैं कि उसने दुबे के इशारे पर वक्फ की कीमती जमीन पर कब्जा कराने से लेकर रंगदारी वसूलने और गैंग को संरक्षण देने तक की भूमिका निभाई।
जांच में हुआ ये साफ
एसआईटी की लंबी जांच के बाद यह गिरफ्तारी संभव हो सकी। जांच में साफ हुआ कि सभाजीत सिंह न सिर्फ वक्फ बोर्ड की सिविल लाइंस स्थित करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा कराने में शामिल था, बल्कि उसने मुतवल्ली मोईनुद्दीन आसिफ को धमकाकर शिकायतें दबाने और अवैध वसूली करने की कोशिश भी की थी। यही नहीं, वह दुबे के कई आपराधिक षड्यंत्रों – जैसे फर्जी दुष्कर्म मुकदमे दर्ज कराना, ब्लैकमेलिंग और संपत्ति हड़पने – में भी सक्रिय रहा।
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में पुलिस को ऐसे कई अहम सुराग मिले हैं जो दुबे के परिवार के फरार सदस्यों तक पहुंच बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं। इनमें उसका भाई सर्वेश और भतीजी सौम्या भी शामिल बताए जाते हैं।
गौरतलब है कि इसी साल अगस्त में अखिलेश दुबे को भाजपा नेता रवि सतीजा को फर्जी केस में फंसाकर पचास लाख रुपये वसूलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि दुबे का गिरोह बिहार-झारखंड से महिलाओं को बुलाकर बड़े कारोबारियों और नेताओं पर झूठे मुकदमे दर्ज कराता था, ताकि उनसे मोटी रकम ऐंठी जा सके।
एसआईटी के पास अब तक दुबे और उसके सहयोगियों के खिलाफ 54 से अधिक शिकायतें पहुंच चुकी हैं। इन मामलों में तीन सीओ – ऋषिकांत शुक्ला, विकास पांडेय और संतोष सिंह – के साथ-साथ इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी, नीरज ओझा और केडीए के कर्मचारियों तक के नाम सामने आए हैं। इन सभी को नोटिस जारी कर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पुलिस विभाग में हलचल
अब तक कुल छह पुलिसकर्मी – जिनमें चार इंस्पेक्टर और दो दारोगा शामिल हैं – दुबे से करीबी रिश्ते रखने के चलते निलंबित किए जा चुके हैं। सभाजीत सिंह की गिरफ्तारी के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप है और अपराध जगत में भी हलचल मच गई है। एसआईटी अब दुबे के करोड़ों के वित्तीय लेन-देन, निर्माण कंपनियों और राजनीतिक संपर्कों की जांच को तेज कर रही है।