उत्तर प्रदेश में अफसरों की पोस्टिंग अक्सर उनकी परफॉर्मेंस या राजनीतिक समीकरणों के आधार पर तय होती रही है। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह इसका एक बड़ा उदाहरण हैं। उन्होंने मुलायम सिंह सरकार में हुए भर्ती घोटाले की जांच की थी और कई अधिकारियों को दोषी पाया था। लेकिन जब 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें पीटीएस उन्नाव में ट्रेनिंग पोस्टिंग पर भेज दिया गया। इतना ही नहीं, डीजी रैंक पर होते हुए भी उन्हें लगातार दो साल वहीं रखा गया। इसी प्रकार आज भी सरकार जिन अफसरों से नाराज होती है उनको ट्रेनिंग सेंटर भेज दिया जाता है।
इसलिए मिलती है तैनाती
जानकारी के मुताबिक , यूपी में कुल 6 पुलिस ट्रेनिंग स्कूल (PTS) हैं—मेरठ, मुरादाबाद, उन्नाव, गोरखपुर, सुल्तानपुर और जालौन। इन स्कूलों के प्रमुख को ‘हेड मास्टर’, पीटीसी के हेड को ‘प्रिंसिपल’, और अकादमी के प्रमुख को ‘डायरेक्टर’ कहा जाता है—चाहे वो एडीजी हों या एएसपी रैंक के अफसर।
ऐसे ट्रेनिंग सेंटर्स पर अक्सर उन अफसरों की पोस्टिंग कर दी जाती है जिन्हें सरकार “नाराज” मानती है। इनमें काम का बोझ एक जिले के कप्तान से भी कम होता है, लेकिन पदनाम ऊंचा रहता है। इसका एक कारण यह भी है कि हाई रैंक अफसर अधिक हैं, और उन्हें कहीं न कहीं तैनात करना होता है। इस व्यवस्था का नतीजा यह होता है कि कई अफसरों को असली पुलिसिंग से दूर कर दिया जाता है, और पुलिस ट्रेनिंग की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।
ये है लिस्ट
नीचे ऐसे प्रमुख अफसरों की सूची दी गई है जो ट्रेनिंग डायरेक्टरेट के अंतर्गत काम कर रहे हैं:
- अजय आनंद – आरटीसी प्रभारी की भूमिका में थे। 2022 में गृह मंत्री अमित शाह की ट्रैफिक जाम की घटना के बाद उन्हें सुल्तानपुर PTS भेजा गया था। उन्होंने डीआईजी पद संभाला और अप्रैल 2025 में रिटायर हुए।
- ज्योति नारायण – यातायात निदेशालय के वरिष्ठ अफसर रहे। उसी कार्यक्रम के बाद जालौन PTS में एडीजी बनाए गए और अभी वहां तैनात हैं।
- जय नारायण सिंह- वर्तमान में सीतापुर PTC में एडीजी हैं। एक महिला एसपी की शिकायत के बाद यह टास्क ऑफिस बना दिया गया।
- सतीश गणेश- जीआरपी में एडीजी रहे। एक रिश्वत संबंधी वीडियो वायरल होने पर उन्हें PTS मुरादाबाद भेजा गया।
- शगुन गौतम – सीतापुर ATC की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते प्रमोशन से वंचित रखा गया है।
