यूपी पुलिस ने एक बड़े धर्मांतरण मॉड्यूल का पर्दाफाश करते हुए देशभर में फैले अंतरराज्यीय नेटवर्क को बेनकाब किया है। डीजीपी राजीव कृष्ण के निर्देश पर चलाए गए इस अभियान में अब तक 6 राज्यों से 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें एक महिला भी शामिल है। यह कार्रवाई आगरा से शुरू हुई, जहां दो सगी बहनों के लापता होने की जांच ने इस संगठित नेटवर्क की परतें खोलीं।
डीजीपी ने दी जानकारी
डीजीपी राजीव कृष्ण ने बताया कि इस नेटवर्क का संचालन एक बेहद व्यवस्थित ढांचे के तहत हो रहा था, जिसमें युवतियों को बहला-फुसलाकर उनका ब्रेनवॉश किया जाता था और फिर उनका धर्मांतरण कर निकाह करा दिया जाता था। उन्होंने यह भी बताया कि इस मॉड्यूल को विदेशों से फंडिंग मिल रही थी, खासकर अमेरिका और कनाडा से। इस नेटवर्क के तार PFI, SDPI जैसे कट्टरपंथी संगठनों और पाकिस्तान की आतंकी एजेंसियों से भी जुड़े पाए गए हैं।
पूरे मामले की शुरुआत आगरा के सदर थाना क्षेत्र से हुई थी, जहां 24 मार्च को दो बहनों के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। परिजनों ने शुरुआत में आरोप लगाया कि दोनों का ब्रेनवॉश किया गया है। शुरुआती जांच को हल्के में लेने वाली स्थानीय पुलिस ने 41 दिन बाद 4 मई को अपहरण का केस दर्ज किया। इसके बाद डीजीपी ने सीधे मामले में हस्तक्षेप किया।
कमिश्नर दीपक कुमार की निगरानी में एडीसीपी आदित्य के नेतृत्व में 7 विशेष टीमें गठित की गईं। सर्विलांस और साइबर सेल की मदद से जब जांच आगे बढ़ी, तो एजेंसियों को कोलकाता, गोवा, मुजफ्फरनगर, देहरादून और जयपुर तक छापेमारी करनी पड़ी।
बैरकपुर छावनी (कोलकाता) से आरोपी शेखर रॉय उर्फ हसन अली को पकड़ा गया, जो बारासात कोर्ट का कर्मचारी है। उसकी निशानदेही पर गोवा से महिला आयशा उर्फ एसबी कृष्णा को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा आगरा, कोलकाता, मुजफ्फरनगर, देहरादून और जयपुर से कुल मिलाकर 10 आरोपियों को हिरासत में लिया गया।
अपराधियों को नहीं बख्शेगी यूपी पुलिस
डीजीपी ने स्पष्ट कहा कि यह केवल अपराध नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। “हमारे मिशन ‘अस्मिता’ के तहत इस तरह के तत्वों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा,” उन्होंने सख्त लहजे में कहा। यूपी एसटीएफ और साइबर सेल पूरे नेटवर्क की फंडिंग और विदेशी लिंक की भी गहन जांच कर रही है।