उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में कानून-व्यवस्था को सख्ती से लागू करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। अपराध और अपराधियों के खिलाफ सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अब सिर्फ भाषणों तक सीमित नहीं, बल्कि ज़मीन पर दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में पुलिस विभाग ने जिस सक्रियता से काम किया है, वह आंकड़ों में साफ झलकता है।
ये हैं आंकड़े
मार्च 2017 से जुलाई 2025 के बीच यूपी पुलिस ने लगभग 14,973 मुठभेड़ें की हैं। इनमें से 238 कुख्यात अपराधियों को पुलिस ने मुठभेड़ों में ढेर कर दिया, जबकि 30,694 अपराधी गिरफ्तार किए गए और 9,467 को घायल कर धर दबोचा गया। इन कार्रवाइयों से स्पष्ट है कि अपराधियों के लिए उत्तर प्रदेश अब सुरक्षित ठिकाना नहीं रहा।
मेरठ जोन में सबसे ज़्यादा 81 अपराधी मारे गए, वहीं लखनऊ, आगरा, प्रयागराज, वाराणसी जैसे ज़ोनों में भी बड़ी संख्या में एनकाउंटर हुए। कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद पुलिस की जवाबदेही और फुर्ती में और इज़ाफा हुआ है। लखनऊ, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में भी कई कुख्यात बदमाश मुठभेड़ों में मारे गए हैं।
कई पुलिसकर्मी हुए शहीद
इन सभी अभियानों में पुलिस ने भी बलिदान दिया है। 18 जवान शहीद हुए और 1,711 पुलिसकर्मी घायल हुए। बावजूद इसके, योगी सरकार की स्पष्ट मंशा है: अपराध के खिलाफ किसी भी हद तक जाकर कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, इन मुठभेड़ों पर सवाल भी उठते रहे हैं, लेकिन जनता में एक बड़ा वर्ग इसे सुरक्षा और न्याय का प्रतीक मान रहा है। यूपी पुलिस की यह आक्रामक नीति प्रदेश में कानून का राज स्थापित करने की एक सशक्त मिसाल बन चुकी है।