केरल में साइबर अपराध से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस सिस्टम की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। पथानामथिट्टा जिले की साइबर पुलिस ने एक ठगी गिरोह का भंडाफोड़ किया, और जांच में खुलासा हुआ कि इस नेटवर्क को संचालित करने वाला कोई बाहरी अपराधी नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में तैनात एक पुलिसकर्मी था। यह कांस्टेबल एसपी दफ्तर में कॉल सर्विलांस सेक्शन में काम करता था और वहीं से संवेदनशील जानकारी बाहर भेज रहा था।
लोगों की जानकारी का किया इस्तेमाल
गिरोह कई तरह के डिजिटल टूल्स का उपयोग कर लोगों की निजी जानकारी—जैसे मोबाइल नंबर, लाइव लोकेशन और कॉल डिटेल रिकॉर्ड—अनधिकृत तरीके से निकालकर ठगी में इस्तेमाल करता था। इसी डेटा की मदद से लाखों रुपये की साइबर धोखाधड़ी की गई। इस पूरे रैकेट में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
सबसे पहले साइबर पुलिस ने केंद्रीय एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर कन्ननकोड निवासी जोएल वी. जोस को पकड़ा। उसके मोबाइल और लैपटॉप की फोरेंसिक जांच से पता चला कि यह नेटवर्क कैसे काम कर रहा था और इसमें कौन-कौन शामिल था। इसके बाद अहमदाबाद से हीरल बेन अनुज पटेल (37) को हिरासत में लिया गया।
पुलिस में सिपाही है सोनू
मुख्य मास्टरमाइंड प्रवीण कुमार उर्फ सोनू (36) मेरठ का रहने वाला है और वही पुलिस कांस्टेबल था, जिसने कॉल रिकॉर्ड और लोकेशन जैसी संवेदनशील जानकारी सिस्टम से निकाली और बाकी सदस्यों तक पहुंचाई। चौथी आरोपी, पलक सिंह उर्फ अन्या (19), को वाराणसी से गिरफ्तार किया गया।
DCRB DySP बीनू वर्गीस के नेतृत्व में गठित टीम ने प्रवीण की लोकेशन दिल्ली में ट्रेस की और एक विशेष दल ने नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से उसे पकड़ लिया। जांच अधिकारी अब यह भी खंगाल रहे हैं कि क्या यह डेटा पाकिस्तान और इज़राइल तक भेजा गया था। NIA और IB से मिले इनपुट के आधार पर जिला पुलिस प्रमुख आर. आनंद की निगरानी में जांच जारी है।