साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए गुरुवार को बरेली पुलिस लाइन सभागार में एक महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत एडीजी रमित शर्मा ने की, जिसमें बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे। कार्यशाला का उद्देश्य यह था कि पुलिस बल को उन आधुनिक तरीकों और डिजिटल प्लेटफॉर्मों के बारे में जागरूक किया जाए, जिनका इस्तेमाल अपराधी लगातार बदलते रूप में कर रहे हैं।
एडीजी ने कहा ये
जानकारी देते हुए एडीजी ने कहा कि सोशल मीडिया, फर्जी अकाउंट, ऑनलाइन गेमिंग और डिजिटल धोखाधड़ी अब अपराधियों का नया हथियार बन चुके हैं। ऐसे में पुलिस को तकनीक में महारत हासिल करनी होगी ताकि समय रहते इन अपराधों को रोका जा सके और लोगों को जागरूक किया जा सके।
उन्होंने सभी कर्मियों को सावधान करते हुए कहा कि ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के लिए डिजिटल सुरक्षा बेहद जरूरी है। किसी भी लिंक या क्यूआर कोड पर क्लिक करने से पहले उसकी विश्वसनीयता जांचना जरूरी है। उन्होंने बताया कि ठग आजकल इनाम, केवाईसी अपडेट और बैंक वेरिफिकेशन के नाम पर लोगों से बड़ी रकम हड़प रहे हैं। इसलिए साइबर जागरूकता को अभियान के रूप में आगे बढ़ाना समय की मांग है।
पुलिसकर्मियों ने साझा किया अनुभव
विभिन्न जिलों से आए जवानों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी बनाकर महिलाओं और युवतियों को परेशान किया जाता है। डीजी नगरू ने निर्देश दिए कि ऐसी शिकायतों पर तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए और साइबर सेल को जांच सौंपकर पीड़ितों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया जाए।
कार्यशाला में बच्चों और युवाओं की डिजिटल सुरक्षा पर भी चर्चा हुई। अधिकारियों ने कहा कि ऑनलाइन गेम्स और चैटिंग ऐप्स के माध्यम से कई बार बच्चे अपराधियों का शिकार बन जाते हैं, इसलिए उन्हें समय रहते जागरूक करना बहुत जरूरी है।