मिर्जापुर से ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो यह याद दिलाती है कि पुलिस वर्दी सिर्फ कानून का प्रतीक नहीं, संवेदनशील इंसान का चेहरा भी होती है। शहर के एसबीआई बैंक में रोज़ की तरह लोगों की लंबी भीड़ लगी हुई थी। अव्यवस्था और हलचल के बीच जमीन पर बैठी एक बुजुर्ग महिला दिखाई दीं, जिनकी उम्र लगभग 85 वर्ष बताई जा रही है। चेहरा थकान से भरा हुआ, हाथों में झुर्रियां और पैसे निकालने की चिंता—लेकिन भीड़ का बोझ उनके लिए किसी पहाड़ जैसा था।
तुरंत कराया काम
इसी दौरान बैंक निरीक्षण के लिए पहुंचे सीओ सदर अमर बहादुर की नजर उन पर चली गई। सामान्यतः अधिकारी निरीक्षण में व्यस्त रहते हैं, लेकिन भीड़ के बीच यह एक दृश्य ऐसा था, जिसे नज़रअंदाज़ करना इंसाफ नहीं होता।
सीओ तुरंत उनके पास पहुंचे, बातचीत की, और स्थिति समझने के बाद बिना किसी देरी के उन्हें सहारा देकर कैश काउंटर तक ले गए। बैंक कर्मचारियों से आग्रह कर उनका कार्य तुरंत कराया गया, ताकि महिला को परेशान न होना पड़े।
सीओ ने लिया फैसला
काम खत्म होने के बाद कहानी और आगे बढ़ी। जब अधिकारी महिला को बाहर छोड़ने जा रहे थे, तब पता चला कि उनके पास घर जाने का कोई साधन नहीं है। दूर-दूर तक कोई परिचित नहीं, न कोई वाहन।
यह सुनकर सीओ अमर बहादुर ने निर्णय लिया कि उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने महिला को अपनी गाड़ी में बैठाया, बड़े सम्मान के साथ घर तक पहुंचाया और तब तक नहीं लौटे, जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो गया कि वह सुरक्षित घर के अंदर चली गई हैं।