उत्तर प्रदेश पुलिस की भर्ती प्रक्रिया में जहां एक ओर हजारों युवा चयन पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई चयनित रिक्रूट प्रशिक्षण शुरू होने से पहले या उसके दौरान ही नौकरी छोड़ रहे हैं। वाराणसी कमिश्नरेट रिजर्व पुलिस लाइन में वर्ष 2023–24 के लिए चयनित 1212 अभ्यर्थियों की फाइलें भेजी गई थीं, लेकिन प्रशिक्षण स्थल पर सिर्फ 1127 रिक्रूट ही रिपोर्ट कर पाए। शेष 56 रिक्रूट बिना सूचना पहुंचे ही नहीं, जिनके लिए पुलिस लाइन की ओर से पत्र भेजे गए, मगर अब तक कोई जवाब नहीं मिला।
ट्रेनिंग के दौरान हुई हालत खराब
इतना ही नहीं ट्रेनिंग शुरू होने के बाद स्थिति और जटिल हो गई। कई रिक्रूट मेडिकल जांच के दौरान अनुपस्थित पाए गए, जबकि 27 रिक्रूट लगातार मेडिकल से गायब रहे। इसके अलावा 11 रिक्रूटों ने प्रशिक्षण के बीच ही नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। अधिकारियों के अनुसार, त्यागपत्र देने वालों में अधिकांश के पास पहले से ही अन्य सरकारी विभागों—जैसे ग्राम विकास अधिकारी, लेखपाल, या बैंकिंग क्षेत्र—में नौकरी लग चुकी थी।
कुछ रिक्रूट ऐसे भी थे जो कठोर ट्रेनिंग शेड्यूल, विशेषकर सुबह 5 बजे उठने की दिनचर्या, से खुद को तालमेल नहीं बिठा सके। दुर्भाग्यपूर्ण रूप से, प्रशिक्षण के दौरान एक रिक्रूट की बीमारी के कारण मृत्यु भी हो गई, जिससे विभाग और साथियों में शोक की लहर दौड़ गई।
अफसरों ने कहा ये
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रशिक्षण के दौरान गैरहाजिर या नौकरी छोड़ने वाले रिक्रूट्स के घर पर सूचनाएं भेजी जाती हैं ताकि यदि वे किसी कारणवश दूर हुए हों तो पुनः प्रशिक्षण में शामिल हो सकें। पुलिस प्रशिक्षण की कठिनाइयों पर प्रकाश डालते हुए रिटायर्ड डीएसपी ध्रुव कुमार सिंह बताते हैं कि यह प्रक्रिया शारीरिक क्षमता, मानसिक दृढ़ता और अनुशासन की मांग करती है। वहीं डीसीपी प्रमोद कुमार के अनुसार, कई रिक्रूटों के पास बेहतर अवसर मिल जाते हैं या वे किसी निजी क्षेत्र या पारिवारिक जिम्मेदारी के कारण प्रशिक्षण छोड़ देते हैं।