लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस की अब तक की सबसे बड़ी सिपाही भर्ती में एक बड़ा संकट सामने आया है। 60,244 पदों पर चयनित अभ्यर्थियों में से 3700 से अधिक ने या तो ट्रेनिंग शुरू ही नहीं की या बीच में ही छोड़ दी। इससे भर्ती बोर्ड और पुलिस विभाग की चिंता बढ़ गई है।
ये हैं आंकड़े
पुलिस भर्ती बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, 3568 अभ्यर्थियों ने नियुक्ति पत्र लेने के बाद भी ट्रेनिंग सेंटर नहीं ज्वाइन किया, जबकि सौ से अधिक चयनितों ने ट्रेनिंग के कुछ ही दिनों बाद इस्तीफा दे दिया। सबसे ज्यादा संख्या पुरुष अभ्यर्थियों की है, लेकिन महिला अभ्यर्थियों के बीच भी यह स्थिति देखने को मिली है।
ज्यादा आकर्षक नौकरियों की ओर रुख
जानकारी के अनुसार, कई युवाओं को इसी दौरान ग्राम विकास अधिकारी, सचिवालय और एसएससी की अन्य भर्तियों में नौकरी मिल गई। ऐसे में उन्होंने पुलिस की अपेक्षाकृत कठिन सेवा को छोड़ने का निर्णय लिया। देवरिया के एक चयनित अभ्यर्थी ने तो साफ कहा, “पुलिस की सुबह 5 बजे उठकर दौड़ लगाना, अनुशासन और कठिन दिनचर्या मेरे बस की बात नहीं।”
मानसिक दबाव बना वजह
फिरोजाबाद में एक ट्रेनी सिपाही की आत्महत्या और बुलंदशहर में ज़हर खाकर जान देने की कोशिश जैसे मामले दिखाते हैं कि कई युवा मानसिक दबाव नहीं झेल सके। वहीं कुछ महिला अभ्यर्थियों को पारिवारिक या स्वास्थ्य कारणों से ट्रेनिंग छोड़नी पड़ी।
प्रशासनिक देरी ने भी बढ़ाई मुश्किलें
कई मामलों में नियुक्ति पत्र देरी से मिला, जबकि कुछ जगहों पर समय से कार्यमुक्त न किए जाने के कारण भी अभ्यर्थी ट्रेनिंग सेंटर नहीं पहुंच सके।
अब पुलिस विभाग इस पूरे मामले की समीक्षा कर रहा है। संभावना है कि खाली पदों को भरने के लिए जल्द ही नई प्रक्रिया चलाई जा सकती है।