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लखनऊ पुलिस कमिश्नर के पद पर IPS डीके ठाकुर को पूरा हुआ 1 साल

आज यानी कि 18 नवम्बर के दिन लखनऊ के दूसरे पुलिस कमिश्नर के कार्यकाल को एक साल पूरा हो रहा है। वर्तमान समय में ये जिम्मेदारी आईपीएस डीके ठाकुर बखूबी संभाल रहे हैं। जब से उन्होंने सूबे की राजधानी की समान संभाली है, तब से न सिर्फ अपराध में कमी आई है, बल्कि लोगों और पुलिस के बीच समन्वय भी बैठा है। इस एक साल में आईपीएस डीके ठाकुर ने अपने अधीनस्थों के लिए भी तरह तरह के कदम उठाए हैं, ताकि वो काम के प्रेशर में दबे न रहें। इसके साथ ही राजधानी में जाम की समस्या से जूझते लोगों को उनके कार्यकाल में काफी राहत मिली है। अगर आंकड़ों की बात करें तो उनके कार्यकाल में अपराध का ग्राफ काफी घटा है।
रह चुके हैं राजधानी के एसएसपी
जानकारी के मुताबिक, पिछले साल दिवाली से ठीक एक दिन पहले लखनऊ के बंथरा में हुआ जहरीली शराब कांड के चलते राजधानी के पहले सीपी सुजीत पांडे को उनके पद से हटाया गया था। उनकी जगह आईपीएस डीके ठाकुर को लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की कमान सौंपी गई थी। आईपीएस ने 18 नवंबर के दिन ही अपना कार्यभार संभाला था। डीके ठाकुर 1994 बैच के आईपीएस अफसर हैं। बीएसपी चीफ मायावती के शासनकाल में ठाकुर लखनऊ के एसएसपी और डीआईजी के पद पर तैनात थे। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में भी काम किया है।
दफ्तर में फरियादियों के लिए हमेशा रहते हैं उपलब्ध
बताया जाता है कि पुलिस अधिकारियों में ठाकुर की अलग पहचान है। जब वह लखनऊ में तैनात थे तब लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए 10 बजे से शाम पांच बजे तक उपलब्ध रहते थे। ये कार्यशैली इन्होंने लखनऊ सीपी बनने के बाद भी बनाए रखी। पुलिस कमिश्नर चेकिंग पर जाते वक्त दिन और रात नहीं देखते हैं। आज भी अक्सर वो रात को थाने और चौकियों का निरीक्षण करने निकल पड़ते हैं। जिस वजह से उनके अधीनस्थों में भी ड्यूटी के प्रति बेहद सजगता रहती है। यही कारण है कि राजधानी में अपराध का ग्राफ काफी हद तक गिरा है।
आंकड़ों में गिरा अपराध
अगर आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2020 के अपेक्षा उनके कार्यकाल में अपराध में कमी आई है। वहीं, थानों में दर्ज होने वाले मुकदमों की संख्या में भी कमी दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018-19 में 19878, वर्ष 2019-20 में 15090 और वर्ष 2020-21 में 14147 मुकदमे पंजीकृत हुए हैं। ये बेहद ही बड़ा आंकड़ा है। इसके साथ ही इस साल के कई हालत दंगे और हिंसा वाले भी बने लेकिन पुलिस कमिश्नर ने इसे बखूबी संभाल और हालत को बिगड़ने से रोक दिया।
साइबर अपराधियों पर कसी नकेल
अपराध के अलावा पुलिस आयुक्त के निर्देश पर साइबर जालसाजों के खिलाफ अभियान चलाकर उनकी गिरफ्तारी की गई। लोगों के खातों से करोड़ों निकालने वाले गिरोह के कई जालसाज जेल में बंद हैं। इसके अलावा अरबों रुपये हड़पने के आरोपित साइन सिटी कंपनी के निदेशक आसिफ नसीम को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया। यही नहीं, आर संस, अनी बुलियन व वास्तु इंफ्रा समेत अन्य कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की। दूसरे पुलिस आयुक्त के कार्यकाल में डकैती की पांच, लूट के 22, हत्या के 77 बलवा के 48, वाहन चोरी के 1303 व दुष्कर्म के 77 मामले सामने आए। अपराध के ये आंकड़े पिछले वर्ष की अपेक्षा कम हैं। इन आंकड़ों को देखते हुए कहा जा सकता है कि सीपी डीके ठाकुर ने अपना कार्यकाल में जिम्मेदारियों को संभाला है।
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